बरसाना की परिक्रमा का क्या  विशेष महत्व है:

Parikrama

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बरसाना परिक्रमा का महत्व

ब्रज के सभी स्थानों पर परिक्रमा का बहुत महत्व होता है। जैसे  गिरिराज महाराज (गोवर्धन परिक्रमा ) परिक्रमा तो बहुत प्रसिद्ध है। मथुरा, वृंदावन,नंदगाव आदि स्थानों पर भी परिक्रमा होती है। बरसाना की परिक्रमा गहवरवन परिक्रमा भी कहलाती है। कहा जाता है बरसाना की एक परिक्रमा गोवर्धन की सात परिक्रमा के समान फलदाई होती है। मतलव ये की आप गोवर्धन की सात परिक्रमा करने पर जिस फल की प्राप्ति होगी वह फल आपको बरसाना की या लाड़ली जू की एक ही परिक्रमा से प्राप्त हो जाता है। कहा जाता है महाराज  बरसानौ जान्यौं नहीं, जान्यौ न राधा नाम, तौ तेने जानौ कहा बृज को तत्व महान (मतलव साफ है बरसाना जाना नहीं और जाना ना राधा नाम तो अपने क्या जाना इस व्रज का महत्व है बहुत महान )। क्योंकि यहां स्वम् भगवान श्रीकृष्ण  ने अपनी आराध्या श्री राधा रानी जी के साथ नित्य बिहार करते है थे । जब कभी  कन्हैंया से राधाजी रूंठ जाती थी तो श्री कृष्ण राधा रानी को  मनाने के लिए स्वयं श्रीकृष्ण मनिहारिन, लुहारिन, और कभी जोगेश्वर का रूप धारण कर लिया करते थे । संतो का भी यही कहना की वही मनुष्य बरसाने  के गहवर वन आ सकता है जिसे लाड़ली जी स्वम् बुलाती है ( संतों की भी मान्यता है कि ‘बरसाने के गहवरन में जो आवैगौ ताये राधे बुलायेवैगी’ )। इसलिए बरसाने की परिक्रमा लगाने से कृष्ण की कृपा का फल तो मिलता है साथ ही राधाजी की  कृपा  प्राप्त होती है । उसे मनुष्य को  मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। एवं बरसाना की परिक्रमा करने से प्रेम फल की प्राप्ति होती है, घर में हमेशा प्रेम का वातावरण बना रहता है।

नोट :- यहां जाने गोवर्धन परिक्रमा के बारे में

बरसाना की परिक्रमा

राधा रानी की परिक्रमा कितने किलोमीटर है

करीब 3 किलोमीटर ( एक कोस ) की है यह परिक्रमा ज्यादातर भक्त जन यह परिक्रमा  बरसाने के मुख्य बाजार से शुरू करते हैं । बाजार से थाना मार्ग पर यह परिक्रमा आगे की ओर बढ़ती है। थाना पहुंचने के बाद परिक्रमा मार्ग सांकरी खोर की तरफ जाता है। 

Barsana Parikrima

बरसाना परिक्रमा ( श्री लाड़ली राधा रानी जी के बरसाना  की परिक्रमा )

बरसाना की परिक्रमा (Barsana Parikrima) करते समय में यहां आपको अधिकांश मंदिरों के दर्शन प्राप्त होते हैं। इस पोस्ट की साहयता से आपको सभी मंदिर एवं वन आदि के बारे जानकारी प्राप्त होगी कृपया पोस्ट को पूरा पढ़ें।  जैसा की आप सभी भक्त जन परिक्रमा के बारे में जानते ही है  परिक्रमा जहाँ से शुरु होती हैं वही पर ही परिक्रमा को समाप्त किया जाता है। अधिकांश भक्त बरसाने की परिक्रमा मुख्य बाजार से शुरू करते हैं। आपको जहां से उचित लगे आप वहां से परिकर्मा शुरू कर सकते है लेकिन याद रहे आप जहां से परिक्रमा शुरू रहे है वहीं समाप्त भी करनी है। तो चलिए बरसाना परिक्रमा की शुरू करते है।

बरसाना परिक्रमा में पड़ने वाले प्रमुख स्थान ( मंदिर )

हम परिक्रमा मुख्य बाजार से शुरू करते है –  सांकरी खोर ( यहां भगवान श्रीकृष्ण ने मटकी फोड़ लीला की थी ), गहवर वन, राधा रस मन्दिर, मान मन्दिर, मोरकुटी, राधा सरोवर, महाप्रभु जी बैठक, कुशल बिहारी जी मंदिर, स्वामीजी के दर्शन ( स्वामी जी लाड़ली जी मन्दिर के गोस्वामीजनों के पूर्वज थे  ), लाड़लीजी मन्दिर ( यहां विराजमान हैं वृषभानु की दुलारी श्री राधा रानी ), गोमाता का मन्दिर, श्री राधाजी के चरण चिन्ह के दर्शन, ब्रह्मा जी का भी मन्दिर, राधाजी के दादी बाबा का मन्दिर, सुदामा चौक, साक्षी गोपाल मंदिर, वृषभानु जी मन्दिर, रंगीली गली चौक, गोपाल जी मन्दिर और श्यामा श्याम मन्दिर के दर्शन करते हुए श्रद्धालु मुख्य बाजार में पहुंचते हैं। यह वही स्थान है जहां से परिक्रमा शुरू की थी वही आपकी परिक्रमा का समापन हुआ बोलो राधा रानी की जय।

बरसाना की परिक्रमा का क्या  विशेष महत्व है:

बरसाना परिक्रमा का विस्तार रूपी वर्णन 

यहां की थी भगवान् श्री कृष्ण ने मटकी तोड़ लीला  ( सांकरी खोर )

द्वापर युग में यहां इसी सांकरी खोर में श्रीकृष्ण ने राधा रानी और सखियों ( गोपियों ) का माखन लूटने के लिए छीना झपटी करते समय मटकी फोड़ दी थी। यह स्थान सांकरी खोर में पर है। आज भी यहां हर वर्ष भादों के महीने में यहां मटकी फोड़ लीला का आयोजन किया जाता है। इन दोनों पहाड़ियों पर रास मंडप बने हुए हैं। रासलीला के दौरान यहां राधा-कृष्ण के स्वरूप विराजमान होते हैं।

राधा सरोवर

यहां आपकी  परिक्रमा चिकसौली ग्राम में पहुंच जाती है।  यह गांव राधा रानी की सखी चित्रा का था इस लिए आज इस गांव को चिकसौली के नाम से जाना जाता है। चिकसौली की गलियों से निकलने के बाद गहवरवन आता है।  यहां राधा रस मंदिर और राधा सरोवर ( बहुत गहरा है )  के दर्शन अवश्य करें। अब  यहीं से मोरकुटी और मान मंदिर जाने का रास्ता है। मान मंदिर की पहाड़ी और मोर कुटी की पहाड़ियों के बीच में घाटी या वृक्षावली है इसे ही गहवरवन कहते है। यहां से आगे कुशल विहारी मंदिर ओर चले.

कुशल विहारी मंदिर   

कुशल विहारी मंदिर यह मंदिर रजिस्थान सरकार का मंदिर है यहां पर गाड़ियों का आने का रास्ता एवं पार्किंग की सुविधा भी है यहां से आगे रास्ता किशोरी जी मंदिर श्री राधा रानी मंदिर की ओर जाता जहां श्यामा जु श्री राधा रानी स्वम विराज मान है। 

यहां विराज मान है श्री राधा रानी 

यहां करे वृषभान दुलारी श्री लाड़ली जु के दर्शन अगर लाड़ली की किरपा जिस मनुष्य पर हो जाती है।  उस मनुष्य के जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है।  लाड़ली जु की परिक्रमा करते समय आपको गऊ माता के दर्शन भी प्राप्त होते है। मंदिर परिसर से बहार एते समय यही बगल में आपको राधा चरण चिन्हों के दर्शन प्राप्त होते है। यहां से आगे आप सीढ़ियों की तरफ जाते है इन सीढ़ियों की सिख्या लगभग 200 से ज्यादा है।  आप 200 सीढ़ियां निचे की तरफ जाते है।  अब हम मुख्य बाजार की कल दिए है यह भी मुख्य बाजार है जहां से हमने परिक्रमा प्रारम्भ की थी और वही पर समाप्त की है। इस के साथ आपकी परिक्रमा समापन हुआ बोलो राधा रानी की जय 

यहां विरज मान है श्यामा जु श्री राधा रानी –

श्री जी मंदिर ( राधा रानी मंदिर )-

श्री जी मंदिर यहां करे वृषभान दुलारी श्री लाड़ली जु के दर्श।  लाड़ली की कृपा जिस मनुष्य पर हो जाती है। उस मनुष्य के जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है। यहां राधा अष्टमी को श्री राधा रानी का जन्म उत्सव मनाया जाता है। राधा अष्टमी के दिन यहां लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ रहती है। यहां आपको लाड़ली जु की परिक्रमा करते समय आपको गऊ माता के दर्शन भी प्राप्त होते है। मंदिर परिसर से बहार आते समय यही बगल में आपको राधा चरण चिन्हों के दर्शन प्राप्त होते है। यहां से आगे आप सीढ़ियों की तरफ जाते है इन सीढ़ियों की सिख्या लगभग 200 से ज्यादा है।  आप 200 सीढ़ियां निचे की तरफ जाते है।  अब हम मुख्य बाजार की चल दिए है यह वही मुख्य बाजार है जहां से हमने परिक्रमा प्रारम्भ की थी और वही पर समाप्त की है। इस के साथ आपकी परिक्रमा समापन का हुआ बोलो राधा रानी की जय

बरसाना की परिक्रमा कब और किस समय की जाती है :-

बरसाना की परिक्रमा का वैसे तो कोई निश्चित दिन नहीं है।  जिस दिन आपको श्री जी बरसाना बुलाती है वह दिन ही आपके लिए मुख्य दिन होता है। लेकिन ज्यादा तर लोग एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या, इन दिनों में  बरसाना की परिक्रमा करते है। इन दिनों को बरसाना की परिक्रमा( Barsana Parikrima ) मुख्य दिन माना जाता है। इन दिनों यहां भक्तों की भीड़ लाखों की संख्या में होती है। मेरा मानना है इन दिनों में परिक्रमा तो करें ही लेकिल जब भी आपके पास समय हो आप उस समय बरसाना की परिक्रमा की परिक्रमा कर सकते है। 

आप के बरसाना आने पर आप यहां से नंदगाव परिक्रमा एवं गोवर्धन की परिक्रमा एवं दर्शन कर सकते है। आशा करना हूँ मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी धन्यबाद ।

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