मथुरा – भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है जो पर्यटन स्थल के रूप में भी बहुत प्रसिद्ध है। मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्म स्थान और भारत की परम प्राचीन तथा विश्व -विख्यात नगरी है। मथुरा शूरसेन देश की यहाँ राजधानी थी। पुराने साहित्यों में मथुरा को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे की – शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा, और आज मथुरा के नाम से जाना जाता है।
यमुना-
मथुरा की मुख्य नदी यमुना है, जो उत्तर से दक्षिण की ओर बहते हुए मथुरा की कुल चार तहसीलों मांट, महावन, मथुरा,एवं छाता से होकर बहती है। यमुना का पूर्वी भाग अधिक उपजाऊ है और पश्चिमी भाग कम उपजाऊ है। मथुरा की मुख्य नदी यमुना है। यमुना नदी पुरे वर्ष बहती है तथा मथुरा की प्रत्येक तहसील से होते हुए निकलती है। यमुना नदी प्रति वर्ष अपना मार्ग बदलती रहती है, इसके फलस्वरूप आस पास का क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित हो जाता है। मथुरा की वायु स्वास्थ्यवर्धक एवं शुद्ध है। मथुरा का मौसम गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ना यहाँ की विशेषता है। यहां मई एवं जून के महीनों में तेजी से गर्म पश्चिमी हवायें चलती हैं। मथुरा में अधिकांश वर्षा जुलाई व अगस्त माह में होती है। मथुरा इतिहास बहुत ही पुराना है आओ जाने मथुरा के इतिहास के बारे में —
मथुरा नगरी की खास चौंका देने वाली –
मथुरा नगरी में दर्शनीय स्थलों में श्री कृष्ण जन्म भूमि मंदिर, कुसुम सरोवर, प्रेम मंदिर, और द्वारकाधीश मंदिर हैं. मथुरा और वृंदावन हर साल भक्तों और यात्रियों की भीड़ को अपनी और आकर्षित करते हैं | भारत इतिहास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में हमेसा से रहा है। महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि से मथुरा नगरी का नाम आज भी जुड़ा हुआ है। मथुरा को भगवान् श्री कृष्ण जन्म भूमि के नाम से जाना जाता है।
श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ था ?
मथुरा के इतिहास में भगवान का जन्म कराग्रह में हुआ था, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था | जैसे-जैसे पृथ्वी अपने स्थान पर घूम रही है, वैसे ही हमारे सभी युग दोहराए जाएंगे और भगवान् का अवतार भी वैसे ही होगा क्योंकि पृथ्वी पर की कमी नहीं है । इसी प्रकार जीवन कभी खत्म नहीं हो सकता । कलियुग की समाप्ति के बाद फिर से सतयुग, एवं द्वापर शुरू होगा। कलियुग में भगवान विष्णु के द्वारा द्वापर युग में कृष्ण के अवतार की तरहा ही फिर से एक नए अवतार में पृथ्वी पर जन्म लेंगे । भगवान् श्री कृष्ण का जन्म 5 ,000 साल पहले हुआ था।
मथुरा मंदिर को किसने नष्ट किया और कब
मथुरा इतिहास की सबसे दुखद घटना रंगजेब ने मथुरा पर हमला किया और 1670 में उसने केशवदेव मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके स्थान पर शाही ईदगाह का निर्माण किया था जो की मथुरा का प्रशिद्ध मंदिर था जो आज शाही ईदगाह जानी जाती है।
मंदिर की सम्पप्ती :
1858 में भगवान् श्री कृष्ण जन्म अष्टमी के दिन निर्माण हुआ था। इसके बाद यहां गर्भगृह का निर्माण कार्य आरम्भ हुआ जो 1982 फरवरी को समाप्त हुआ था। हिन्दू धर्म जन्म भूमि के दर्शन शुभ मने जाते मन जाता है यहां के दर्शन करने से जीवन ख़ुशी से गुजर जाता है। इस लिए यहां हमेसा भक्तों भीड़ होती है |
मथुरा लड़कियों के लिए सुरक्षित है –
मथुरा एक धार्मिक स्थान है यहां भगवान श्री कृष्ण के खूबसूरती से डिजाइन किए गए मंदिर हैं जिनमे भगवान् वास करते है । मथुरा एक पवित्र स्थान है और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है । क्योकि यहां सभी भक्तजन भगवान के प्रेम में लीन होते है उन्हें कन्हेयां के अलावा और कुछ दिखाई ही नहीं देता इस लिए भक्त कहते है जो एक मथुरा आ तो जाता है लेकिन कभी मथुरा के प्रेम से, श्री कृष्ण के प्रेम से निकल नहीं पता।
भगवान् श्री कृष्ण का घर –
गोकुल उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक नगरी है । गोकुल मथुरा से 15 किलोमीटर (3 कोस ) दक्षिण-पूर्व में स्थित है। भागवत पुराण ( भागवत कथा, सप्ताह) के अनुसार कहा जाता है कि भगवान् श्री कृष्ण ने अपना बचपन गोकुल में बिताया था। जबकि भगवान कृष्ण 125 वर्ष तक जीवित रहे थे।
भगवान श्री कृष्ण की उम्र –
भगवान श्रीकृष्ण की उम्र, भगवान श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था. मान्यता है कि उनकी उम्र 125 साल 8 महीने और 7 दिन थी. उन्होंने अपना जीवन प्रेम के लिए व्यतीत किया था।
मथुरा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर –
मथुरा के सभी स्थानों में सबसे श्रेष्ठ स्थान श्री पारखजी महाराज जी के द्वारा बनवाया हुआ श्री द्वारकाधीश का मंदिर है। द्वारकाधीश मंदिर मथुरा में स्थित है यहां हमेशा भक्तों भीड़ रहती है।
मथुरा के वन –
1 मधुवन ,2 तालवन, 3 कुमुदवन, 4 काम्यवन, 5 महावन, 6 लौहजंगवन, 7 भांडीर वन एवं 8 वृन्दावन। इन वनों के अलावा और भी 24 वन थे जो आज गांव एवं कस्वों में बदल दिए गए है।
होली में मथुरा जाना अच्छा है –
मथुरा के इतिहास में होली का बहुत महत्व है , होली सभी रंगों, अराजकता और उत्सवों (त्यौहार ) के बारे में है, लेकिन जब मथुरा में, यह त्योहार पूरी तरह से अलग मनाया जाता है , मथुरा की होली में आत्मा को हिला देने वाला अनुभव प्राप्त होता है । यहां आपको होली से जुड़ी पौराणिक कहानियां या बुराई पर अच्छाई की जीत कैसे होती है, यह बताया गया है। मथुरा की होली में प्रेम होता हो जो की सभी बुराई एवं आपसी मन मुटाव को खतम करना सिखाता है।
मथुरा में भगवान कृष्ण के फेमस मंदिर का नाम
भगवान् श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा के बीचों बीच ही स्थित है। यहां भगवान श्री कृष्ण का बाल गोपाल के रूप में जन्म हुआ था। मंदिर काफी प्राचीन ( पुराना ) और भव्य है। जन्म भूमि के दर्शन जन्माष्मी एवं होली पर ही होते है।
मथुरा की यात्रा कैसे कर सकते है
सड़क मार्ग – मथुरा भारत के सभी स्थानों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से मात्र 150 किलोमीटर है। दिल्ली से सीधा NH2 एवं यमुना एक्स प्रेस वे से सीधा आ सकते है।
रेल मार्ग – मथुरा में स्थित मथुरा जंगशन जो की मथुरा के बहुत की पास है दिल्ली से आने जाने वाली सभी रेल मथुरा से होते हुए जाती है।
ठहरने की व्यवस्था – रलवे स्टेशन के आस पास काफी होटल एवं कम खर्च वाली धर्मशालाए मौजूद है।
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