भगवान् श्री कृष्ण और राधा रानी के प्यार को समर्पित है। यहाँ उनके प्यार की निसानी के रूप में मंदिर और वन मौजूद है, लेकिन उनमें से एक रहस्यमय वन है, जिसे निधिवन (Nidhivan) कहा जाता है। एक ऐसी जगह, जिसके बारे में माना जाता है कि यहां कृष्ण अर्ध रात्रि को आते है और गोपियों के साथ रास करते है। तथा जो भी मनुष्य उनके रास के दर्शन कर लेता है वह मनुष्य अन्धा, बेहरा, मतलव दुनिया के सभी बन्धनों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है। जिन लोगों ने भी यह रासलीला देखनी चाही, वो या तो पागल हो गए या फिर उनकी मौत हो गई। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को शाम की आरती करने बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद यहाँ कोई नहीं रहता। निधिवन में आपको दिन में दिखाई देने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते हैं। निधिवन के बीच में एक महल है, जिसे ‘रंग महल’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है की रंग महल में ही श्रीकृष्ण एवं गोपियों के लिए शाम को भोग रखा जाता है, सुबह होने पर भोग दिखाई नहीं देता है । ऐसे में कहा जाता है कि श्री कृष्ण रात्रि के बाद निशानियां भी छोड़ जाते हैं। निधिवन 3 एकड़ में फैला हुआ है। इसके चारों ऒर लगभग 8 फ़ीट की दीवार है।
पेड़ बन जाते हैं गोपियाँ
यहाँ आप जो भी पेड़ देखेंगे वह अपने आप में विचित्र होता है। इन पेड़ो की शाखाएं सीधी ना होकर मुड़ी हुई ही दिखाई देती हैं। विश्व में सभी पेड़ों की शाखाएं नीचे से ऊपर की ओर जाती हैं किन्तु निधिवन में सभी पेड़ों की शाखाएं ऊपर से नीचे की और जाती हैं। निधिवन की यह चीज़ अपने आप में एक विचित्र हैं। कहा जाता हैं कि सूर्यास्त के बाद पेड़ों की शाखाएं गोपियों के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं जिनके साथ भगवान श्री कृष्ण रासलीला करते हैं। और सूर्योदय होने से पहले वे पुनः (फिर से ) अपने रूप में आ जाती हैं। निधिवन के पेड़ों की संख्या 16000 है जो की सूर्यास्त के बाद श्री कृष्ण की 16000 पटरानियों के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
निधिवन में तुलसी के पवित्र पौधों का रहस्य
निधिवन जिसमें तुलसी के पेड़ ज्यादा हैं। ये सामान्य तुलसी (Tulsi) के पौधों से एकदम अलग हैं। यहाँ तुलसी के पौधों की विशेषता है यहाँ जो भी तुलसी का पेड़ है वह जोड़े में है, जो की श्री राधा कृष्ण के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह जो भी आपको तुलसी का पेड़ मिलेगा वह जोड़े म ही मिलेगा। ये पेड़ आकार में बड़े हैं और साथ ही इन पेड़ों की शाखाएं जमीन से ऊपर की ओर जाती हैं।
निधिवन के रंग महल में शाम को आरती के बाद एक लोटा पानी और पान रखा जाता है :-
लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है
हर शाम को पुजारी राधा-कृष्ण के बैठनेके लिए सेज सजाते हैं और भोग रखते हैं। उस रात के बाद सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल’ के पट खुलते हैं तो सेज अस्त-व्यस्त, और लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है। जैसे की रात्रि यहाँ किसी विश्राम किया हो। रंग महल में पानी का लोटा खली तथा पान खाया हुआ होता है, यह भगवान् श्री कृष्ण की लीलाओं का प्रतीक है उनका व्रज में मौजूदगी का प्रतीक है।
क्यों है शाम के समय निधिवन में जाने की मना:
निधिवन भक्तों के लिए केवल दिन में ही खुला रहता हैं। सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद यहाँ किसी को भी बिल्कुल जाने नहीं दिया जाता है। सूर्यास्त होने से पहले ही निधिवन को खाली करवा दिया जाता है, तथा बंद कर दिया जाता है। सूर्यास्त होने से पहले मंदिर के पुजारी भी निधिवन से चले जाते है ।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि रात्रि होते ही यहाँ स्वयं भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी स्वम अवतार लेते है और गोपियों के संग रासलीला करते हैं। कहा जाता हैं कि जो भी मनुष्य चोरी छुपे रात को रुका है, वह मनुष्य अगले दिन या तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है । कुछ तो अंधे, बहरे व गूंगे भी हो चुके है । इसलिये यहाँ सूर्यास्त के बाद किसी को रुकने नहीं दिया जाता हैं।
इसका प्रमाण देखने के लिए आपको सुबह 5 बजे तुरंत बाद निधिवन जाना होगा जव निधिवन का पुजारी रंग महल के पट खोल रहा होगा तव आपको इसका प्रमाण देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा ।
निधिवन में ललिता कुंड:-
निधिवन रंग महल के दर्शन करने बाद छोटा सा कुंड दिखने को मिलेगा । कुंड से जुड़ी कथा ये है कि, एक बार रासलीला करते समय श्रीराधा की ( प्रय सहेली )घनिष्ठ मित्र ललिता को प्यास लगी और उनकी प्यास बुझाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से वहां एक कुआं बनाया जिसे आज ललिता कुंड के नाम से जाना जाता है ।
ये हैं अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल:-
मथुरा जिले में वृंदावन के अलावा श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा के दर्शनीय स्थल :-
कंस किला, अम्बरीथ टीला, कंस वध स्थल, पिप्लेश्वर महादेव, बटुक भैरव, कंस का अखाड़ा, बल्लभद्र कुंड,ध्रुव टीला,भूतेश्वर महादेव, आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
मथुरा वृन्दावन में आप सभी भक्तों का स्वागत है बोलो श्री हरिदास
Nidhivan Updated Timings | निधिवन घूमने का समय
अगर आप निधिवन के बारे में जानना चाहते हे। आपको सर्वप्रथम जानना होगा निधिवन का आने एवं जाने समय ( Timings) क्या हे। आज हम आपको निधिवन जाने एवं आने के समय के बारे में जानकारी देंगे। ऐसा क्या हे निधिवन में जो आपको यहां समय से ही आना जाना करना पड़ता है। आपको इस बारे में सम्पर्ण जानकरी दी जाएगी।
निधिवन खुलने का समय (Nidhivan Opening Timings)-
आप वृन्दावन पूरे साल में किसी भी समय आ जा सकते है। लेकिन निधिवन आने एवं जाने का अपना समय है ( यह समय क्यों क्या है इसके पीछे रहस्य, अगर निधिवन सम्पूर्ण जानकारी चाहते है आप इस इस ब्लॉग को पढ़े )। निधिवन खुलने समय ग्रीष्मकाल- प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 08:00 रात्रि, एवं शीतकाल – प्रातः काल : 06:00 प्रातः से 07:00 रात्रि। निधिवन शाम को सात बजे की आरती के बाद निधिवन खाली होना शुरू हो जाता है ( खली करा दिया जाता है )। निधिवन में आप दिन के समय आ, जा सकते हैं। शाम समय 8 बजे के बाद निधिवन पूरा इलाका वीरान ( खली ) हो जाता है।
निधिवन उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन में स्थित एक विशाल वन है जहां आज भी असंख्य पेड़ मौजूद हैं। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार निधिवन की महानता बहुत पहले से है जो भगवान श्री कृष्ण के समय से जुड़ी हुई हैं। निधिवन वही स्थान है जहां कन्हेयां ( कान्हां ) अपने बचपन में वृंदावन-गोकुल की कुन्ज गलियों में बांसुरी बजाया करते थे कान्हां की बांसुरी मधुर धुन सुनकर गोपियाँ एवं लाड़ली, राधा दौड़ी-दौड़ी चली आती थी। इसी कारण निधिवन आज भी भगवान् कृष्ण भक्तों के बीच अत्यधिक प्रिय हैं।
ग्रीष्मकाल
प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 08:00 रात्रि
शीतकाल
प्रातः काल : 06:00 प्रातः से 07:00 रात्रि
वृंदावन निधिवन कैसे पहुंचे ( How to Reach Vrindavan)
वृंदावन निधिवन के लिए सबसे अधिक सेवा देने वाला रेलवे स्टेशन मथुरा जंगशन है जो वृंदावन से लगभग 10 KM किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप दिल्ली,या आगरा, मुंबई, पुणे, भोपाल, जयपुर रांची इन स्थानों से आसानी से आ सकते है। मथिरा जंगशन यह सभी रेलों का रुकने का स्थान है। सड़क मार्ग से भी यहां आसानी से आ सकते है। नेशनल हाईवे NH 2 या यमुना एक्सप्रेससवे से भी असनी आ सकते है। यमुना एक्सप्रेससवे से आपको मथुरा होते हुए आना होता है एवं NH 2 से आप ऑन रोड वृंदावन आ जाते है।
आसपास के प्रसिद्ध स्थानों से वृंदावन निधिवन तक पहुँचने के सर्वोत्तम तरीके नीचे दिए गए हैं-
आगरा शहर से निधिवन देवी मंदिर कैसे पहुंचे-
आगरा से वृंदावन निधिवन तक पहुंचना बहुत आसान है क्योंकि यह रेल और सड़क परिवहन के माध्यम से आगरा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यदि आप ट्रेन के माध्यम से आगरा से वृंदावन निधिवन जाना चाहते हैं तो आगरा जंक्शन और मथुरा जंगशन के बीच लगभग 50 दैनिक ट्रेनें चलती हैं। और मथुरा जंगशन से वृंदावन निधिवन के लिए एक ऑटो या एक टैक्सी ले सकते हैं।
आगरा से बस एवं निजी टैक्सी या निजी कार से भी वृंदावन निधिवन आ सकते हैं। आगरा और मथुरा के बीच सड़क की दूरी लगभग 70 KM किलोमीटर है। यदि आप अपनी निजी कार से यात्रा कर रहे हैं तो मैं आपको NH 02 यमुना एक्सप्रेसवे आने का सुझाव देना चाहूंगा क्योंकि यह आगरा वृंदावन निधिवन का सबसे अच्छा मार्ग है। आगरा वृंदावन निधिवन के बीच कई प्राइवेट और सरकारी बसें भी चलती हैं।
आगरा वृंदावन निधिवन के बीच सड़क मार्ग से यात्रा की दूरी – लगभग 80 KM किलोमीटर
रेल द्वारा आगरा और मथुरा जंगशन के बीच यात्रा की दूरी – लगभग70 KM किलोमीटर
मथुरा जंगशन से वृंदावन निधिवन कैसे पहुंचे –
रेलवे स्टेशन के निकास द्वार से वृंदावन निधिवनतक आसानी से ई-रिक्शा और सार्वजनिक ऑटो मिलते हैं।
दिल्ली से उत्तर प्रदेश में वृंदावन निधिवन कैसे पहुंचे –
नई दिल्ली से उत्तर प्रदेश के वृंदावन निधिवन पहुंचना बहुत आसान है। यदि आप कार से आने की योजना बना रहे हैं तो नई दिल्ली सेवृंदावन निधिवन पहुंचने में लगभग 3 से 4 घंटे लग सकते हैं। दिल्ली से वृंदावन निधिवन उत्तर प्रदेश के लिए सबसे अच्छा मार्ग NH 2 या यमुना एक्सप्रेससवे माध्यम से जाना है।
वैकल्पिक रूप से, कोई ट्रेन से भी जा सकता है क्योंकि मथुरा जंगशन और दिल्ली के बीच 50 दैनिक ट्रेनें चलती हैं।
वृंदावन निधिवन और दिल्ली के बीच यात्रा की दूरी – लगभग। 130 किलोमीटर
कुछ लोकप्रिय स्थलों से उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित वृंदावन निधिवन की यात्रा दूरी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है-
दिल्ली से वृंदावन निधिवन 130 KM
आगरा से वृंदावन निधिवन 70 KM
जयपुर से वृंदावन निधिवन 222 KM
मथुरा से वृंदावन निधिवन 10 KM
गोवर्धन से वृंदावन निधिवन 30 KM
भरतपुर से वृंदावन निधिवन 40 KM
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